Jabalpur News: 2 साल में चोरी हुए 1125 छोटे-बड़े वाहन, रिकवर हुए 649

2 साल में शहर से लेकर देहात क्षेत्रों में शातिर चोरों की गैंग ने अनुमानित 1125 छोटे-बड़े वाहन चोरी किए।

Jabalpur News: 2 साल में चोरी हुए 1125 छोटे-बड़े वाहन, रिकवर हुए 649

आर्य समय संवाददाता, जबलपुर। 2 साल में शहर से लेकर देहात क्षेत्रों में शातिर चोरों की गैंग ने अनुमानित 1125 छोटे-बड़े वाहन चोरी किए। मालिकों ने वाहन चोरी की शिकायतें थानों दर्ज करार्इं, जिसके बाद पुलिस ने पड़ताल करते हुए करीब 649 छोटे बड़े वाहनों को बरामद करते हुए 7 दर्जन से अधिक चोरों को गिरफ्तार कर जेल भेजने का कार्य किया है। वाहन बरामदगी के लिए हरसंभव प्रयास के बावजूद पुलिस को करोड़ों रुपए कीमत के 476 वाहन ढूंढे नहीं मिले। पुलिस महकमें में चर्चा है कि चोरी के छोटे,लग्जरी एवं हैवी वाहनों को चंद पल में टुकड़े-टुकड़े कर देने वाले कबाड़ियों की गैंग शहर में फिर सक्रिय होकर कार्य रही है, इसलिए अनके वाहन नही मिल रहे हैं। कबाड़ियों ने वाहन काटने के लिए नया तरीका अपना लिया है, कबाड़ी कबाड़खाना में वाहन न काटकर इधर-उधर वाहनों के पार्टस खोलकर टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं।  

चोरी हुए सैकड़ों वाहनों का सुराग न मिलने पर पुलिस अधिकारियों ने पूर्व में शहर एवं देहात के सभी थाना प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्र में स्क्रेप का काम करने वालों की पूरी कुंडली तैयार करने के निर्देश दिए थे। थाना प्रभारियों ने क्षेत्र के कबाड़ियों से चर्चा करते कबाड़ में कटने वाले हर वाहन की पूरी जानकारी रजिस्टर में अंकित करने के लिए कहा था, लेकिन निर्देश का पालन कोई नहीं करता है। बेलबाग-ओमती थाना क्षेत्र में कबाड़ियों पर कसी नकेल के बाद कबाड़ माफिया अधारताल एवं बायपास क्षेत्र में वाहन काटने लगे हैं। जानकारी के मुताबिक प्रतिवर्ष औसतन 650 से अधिक छोटे-बड़े वाहन चोरी हो जाते हैं। चोरी की एफआईआर होने के बाद संबंधित पुलिस इनकी बरामदगी के लगातार प्रयास करती है, लेकिन अमूमन चोरी के ज्यादातर वाहनों को कबाड़ियों द्वारा काट लिया जाता है।

दूसरे जिलों से चोरी वाहन, यहां कटने आते हैं
शहर में कई कबाड़खाना ऐसे हैं,जो बगैर दस्तावेज के वाहनों को खरीद चंद मिनट में कर उन्हें कबाड़ में तब्दील कर देते हैं। इन कबाड़ियों के यहां दमोह, सतना, कटनी, बालाघाट,  छिंदवाड़ा, शहडोल, उमरिया, दमोह, डिंडोरी और नरसिंहपुर से चोरी हुए छोटे-बड़े वाहन कटने के लिए जबलपुर ही आते हैं। कई मामलों में वाहन चोरों के साथ मोटरमालिक भी फायनेंस वाहन की चोरी की एफआईआर दर्ज कराकर वाहन को स्वयं कबाड़ियों को बेचकर शांत बैठ जाते हैं।  

कुछ मालिक स्वयं वाहन बेचकर कराते हैं एफआईआर
 कबाड़ में केवल चोरी के वाहन ही नहीं बल्किऐसे वाहन भी कटने के लिए पहुंचते हैं जिनका टैक्स लाखों में बकाया होता है। ऐसे वाहनों में सर्वाधिक तादाद बस, ट्रक व जीपों की होती है। कई वर्षों तक टैक्स जमा किए बिना ही सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों पर लाखों रु पए का टैक्स चढ जाता है। तब वाहन मालिक भी औने-पौने दामों में वाहन को वाहन को कबाड़ियों को बेच देता है।  

निर्धारित नियम दरकिनार
कबाड़ी जिन वाहनों को काट सकते हैं उसके लिए नियमानुसार कबाड़ी को चाहिए कि वह वाहन मालिक से बैंक ऋण संबंधी अनापत्ती प्रमाण पत्र, आरटीओ द्वारा दिया गया अनापत्ती प्रमाणपत्र और रजिस्ट्रेशन समाप्ति संबंधी प्रमाण पत्र जैसे जरूरी दस्तावेजों कि पुष्टि करें। समस्त परीक्षण एवं पूछताछ के बाद ही कबाड़ी अपने परिसर में वाहनों का प्रवेश कराएं। वाहन चोरी का संदेह होने पर कबाड़ी संबंधित पुलिस थाना को सूचित करें। पुलिस रिकार्ड में आज तक किसी भी कबाड़ी ने चोरी का वाहन कबाड़खाना बिक्री के लिए आने की सूचना नहीं दी है।