Jabalpur News: गधे को च्यवनप्राश खिलाते RDVV पहुंचे एनएसयूआई कार्यकर्ता, कुलगुरु प्रोफेसर राजेश वर्मा से मांगा इस्तीफा

Jabalpur News: गधे को च्यवनप्राश खिलाते RDVV पहुंचे एनएसयूआई कार्यकर्ता, कुलगुरु प्रोफेसर राजेश वर्मा से मांगा इस्तीफा

आर्य समय संवाददाता, जबलपुर। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) जबलपुर के प्रदेश प्रवक्ता राहुल रजक एवं प्रदेश सचिव अनुज यादव के नेतृत्व में मंगलवार को कार्यकर्ताओं ने एक अनोखा प्रदर्शन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में किया। दरअसल,एन एस यू आइ कार्यकर्ता अपने साथ गधे लाए थे, जिन्हें वो च्यवनप्राश खिला रहे थे। पूछे जाने पर कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाते हुए बताया कि आर डी वि वि के वर्तमान कुलगुरु जो कि फर्जी रूप से प्राध्यापक बने हैं। यह आंदोलन योग्यता को नजरअंदाज कर धन बल पर नियुक्ति हासिल करने वाले प्रो राजेश कुमार वर्मा का प्रतीकात्मक विरोध था।

हालांकि कार्यकर्ताओं के द्वारा गधे को विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से प्रशासनिक भवन मे प्रवेश करने से पहले ही पुलिस प्रशासन ने बल पूर्वक रोक दिया।जिला अध्यक्ष सचिन रजक ने बताया  कि "प्रो. राजेश कुमार वर्मा की नियुक्ति न केवल फर्जी है, बल्कि यह उच्च शिक्षा के मापदंडों का मजाक उड़ाती है। ऐसे कुलपति के इस्तीफे की मांग हमारा अधिकार है।"

विदित हो कि एनएसयूआई द्वारा पिछले दिनों एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था।जिसमें रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलगुरु प्रो राजेश कुमार वर्मा के मूल पद अर्थात प्राध्यापक पद पर हुई नियुक्ति पर संगठन ने प्रश्न उठाया था।


सचिन रजक ने बताया कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रो. राजेश कुमार वर्मा की प्राध्यापक पद पर नियुक्ति में कई विसंगतियां सामने आई हैं। उन्हें 2008 में पीएचडी उपाधि मिली थी, जबकि 2009 में प्राध्यापक पद के लिए विज्ञापन जारी हुआ। इस पद के लिए पीएचडी के बाद 10 वर्षों का अध्यापन अनुभव अनिवार्य था, जो उनके पास नहीं था। इसके बावजूद, उन्हें नियमों की अनदेखी कर नियुक्ति दी गई।  

इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई जरूरी है, ताकि उच्च शिक्षा में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। संगठन ने कुलपति के तत्काल इस्तीफे की मांग की और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। छात्रों की समस्याओं को अनदेखा करने वाले और प्रशासनिक लापरवाही को बढ़ावा देने वाले कुलपति को पद पर रहने का कोई हक नहीं है। हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक न्याय नहीं मिलता।