Jabalpur News: कैंट बोर्ड मेंबर चुनाव अब नहीं होंगे, एक बार फिर रक्षा मंत्रालय ने किया साफ
Jabalpur News: Cantt Board member elections will not be held now, Defense Ministry once again made it clear

आर्य समय संवाददाता,जबलपुर। रक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि अब कैंट बोर्ड के लिए मेंबर्स का निर्वाचन नहीं होगा। जिसके बाद कैंट बोर्ड स्तर पर राजनीति कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं में काफी मायूसी नजर आ रही है। दरअसल, बीते कुछ दिनों से ऐसे संकेत मिल रहे थे कि रक्षा मंत्रालय कैंट बोर्ड मेंबर (वार्ड पार्षद) का चुनाव कराने पर विचार कर रहा है।
जिसके चलते जबलपुर कैंट में भी काफी हलचल नजर आने लगी थी। लेकिन हालही में रक्षा मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जबाव में साफ कर दिया कि कैंट बोर्ड के सिविल एरिया को समीपस्थ निकायों में वियल करने की प्रक्रिया चल रही है। कैंट बोर्ड मेंबर्स चुनाव कराए जाने से विलय की प्रक्रिया प्रभावित होगी। लिहाजा चुनाव नहीं कराए जाएंगे।
पूर्व कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष अभिषेक चौकसे का कहना है कि पूरे देश में जनता की आवाज बोर्ड तक पहुंचाने के लिए नामित मेंबर्स की नियुक्ति की गई हैं,लेकिन जबलपुर कैंट बोर्ड के मामले में आज तक नामित मेंबर्स तक की नियुक्ति तक नहीं की गई है। जिसके चलते आम नागरिकों को अपनी छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर भटकना पड़ता है।
अगर रक्षा मंत्रालय को चुनाव नहीं कराना है तो विलय की रफ्तार ही बढ़ा दे। उल्लेखनीय है कि 10 फरवरी 2020 को निर्वाचित मेंबर्स का कार्यकाल पूरा होने के बाद से कैंट बोर्ड के चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बार चुनाव का ऐलान किया था,लेकिन बीच में पूरे कार्यक्रम को स्थगित करना पड़ गया था।
अब चार से ज्यादा समय हो जाने के बाद कांग्रेस सांसद वरुण चौधरी (अंबाला) द्वारा 25 जुलाई को उठाए गए एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में, मंत्री संजय सेठ ने कहा कैंट क्षेत्रों और आसपास की राज्य नगर पालिकाओं से संबंधित नगर पालिका कानूनों में एकरूपता लाने के लिए, राज्य सरकारों द्वारा चुनिंदा कैंट के नागरिक क्षेत्रों को अलग करने और उन्हें आसपास की नगर पालिकाओं में विलय करने का प्रस्ताव पेश किया गया है। चूँकि इस कटौती का परिणाम कैंट बोर्डों के प्रशासनिक ढांचे पर पड़ सकता है, इसलिए कैंटबोर्डों के चुनाव नहीं कराए गए हैं।
चुनाव याचिका हाईकोर्ट में लंबित - कैंट बोर्ड मेंबर्स के चुनाव कराने को लेकर बोर्ड के पूर्व मेंबर अमरचंद बावरिया ने एक याचिका एमपी हाईकोर्ट में दाखिल की थी। जो आज भी लंबित है। इस मामले में अमरचंद का कहना है कि रक्षा मंत्रालय या तो विलय करे या फिर चुनाव कराए। चार साल से ज्यादा समय हो गया। सिविल आबादी का प्रतिनिधित्व खत्म है। अधिकारी मनमर्जी से निर्णय ले रहे हैं।