Jabalpur News: नर्सिंग काउंसिल रजिस्ट्रार पर लगे आरोपों की जांच कर करो कार्रवाई, एमपी हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
Jabalpur News: Investigate the allegations against the Nursing Council Registrar and take action, MP High Court gave instructions

आर्य समय संवाददाता जबलपुर। नर्सिंग फर्जीवाड़े मामले में गुरुवार 14 नवंबर को लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल बेंच में जस्टिस संजय द्विवेदी एवं जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की विशेष पीठ के समक्ष सुनवाई हुई।
ऐसे पुराने कॉलेज जिनके पास नहीं हैं ख़ुद के अस्पताल, उन्हें राहत -
अनेकों नर्सिंग कॉलेजों की ओर से याचिका पेश कर आग्रह किया गया था कि वे 2013 वर्ष के पूर्व से संचालित कॉलेज हैं। जिन्हें सरकारी अस्पताल में मिली संबद्धता के आधार पर सदैव मान्यता प्रदान की जाती थी, किंतु इस वर्ष अचानक नर्सिंग काउंसिल द्वारा उन्हें मान्यता हेतु आवेदन करने से रोक दिया गया था। स्वयं के 100 बिस्तरीय अस्पताल न होने के कारण उन्हें मान्यता से वंचित होना पड़ रहा है।
इस पर उच्च न्यायालय ने इस मामले में सरकार ने जवाब प्रस्तुत कर कहा है कि नर्सिंग शिक्षण संस्थान मान्यता नियम 2018 के प्रावधनों के अनुसार 100 बिस्तर के स्वयं के अस्पताल अथवा संबद्ध अस्पताल के बगैर किसी संस्थान को मान्यता नहीं दी जा सकती। संस्थाओं के इतने वर्षों के संचालन को दृष्टिगत रखते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें इस सत्र में पूर्ववत व्यवस्था के आधार पर सरकारी अस्पताल की संबद्धता के आधार पर मान्यता प्रक्रिया में सम्मिलित करने के आदेश दिए हैं।
रजिस्ट्रार पर आरोपों की जांच कर, लो एक्शन
याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत किए गए आवेदन जिसमें नर्सिंग काउंसिल की वर्तमान रजिस्ट्रार अनीता चांद के विरुद्ध आरोप लगाए गए थे कि उनके द्वारा अनसूटेबल नर्सिंग कॉलेज का निरीक्षण कर सूटेबल दर्शाया जा कर मान्यता प्रदान कराई गई थी। उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करते हुए उन्हें रजिस्ट्रार बना दिया गया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच कर तत्काल कार्रवाई की जाए।
मामला लंबित रहने तक ना किया जाए कोई बदलाव -
सुनवाई में हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से महाधिवक्ता को कहा है कि पीआईएल लंबित रहने तक सरकार के द्वारा नियमों में व्यवस्था में किए गए किसी भी प्रकार के बदलाव नहीं किए जाएँ । हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया है कि नर्सिंग एवं पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की संबद्धता का नियंत्रण जो कि सरकार ने अधिनियम में संशोधन करते हुए क्षेत्रीय विश्वविद्यालय को सौंप दी थी। वह सत्र 2024-25 में लागू नहीं हो सकेगा।