Jabalpur News: चुनाव की उम्मीद टूटी, कैंट बोर्ड एक साल और रहेगा भंग...रक्षा मंत्रालय ने 56 कैंट के लिए जारी किए आदेश

Jabalpur News: Election hopes dashed, Cantt Board will remain dissolved for one more year... Defense Ministry issued orders for 56 cantts

Jabalpur News: चुनाव की उम्मीद टूटी, कैंट बोर्ड एक साल और रहेगा भंग...रक्षा मंत्रालय ने 56 कैंट के लिए जारी किए आदेश

आर्य समय संवाददाता,जबलपुर। रक्षा मंत्रालय ने जबलपुर सहित देश 56 केंट बोर्ड को भंग रखे जाने की समय सीमा को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। हाल ही में इस आशय की अधिसूचना रक्षा मंत्रालय ने जारी कर दी है। बात साफ है कि रक्षा मंत्रालय केंट बोर्ड में मेंबर चुनाव के पक्ष में नहीं है। दरअसल, जबलपुर केंट बोर्ड सहित देश के 56 बोर्ड में पिछले 5 सालों से मेंबर के चुनाव नहीं कराए गए हैं। अंतिम निर्वाचित केंट बोर्ड मेंबर्स का कार्यकाल 10 फरवरी 2020 को समाप्त हुआ था। जिसके बाद से लगातार रक्षा मंत्रालय केंट एक्ट के प्रावधानों का हवाला देते हुए बोर्ड को भंग की स्थिति में रखे हुए है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना 11 फरवरी 2025 से अगले एक साल के लिए प्रभावी रहेगी। इस दौरान अगर निर्वाचित मेंबर्स का चुनाव हुआ तो ठीक नहीं तो बोर्ड भंग ही रहेगी।

निकायों में विलय का हवाला-
रक्षा मंत्रालय ने इस बात की घोषणा पूर्व में ही कर दी थी कि कैंट बोर्ड के अधीन आने वाले सिविल एरिया को समीपस्थ निकायों में विलय किया जाना है। इसलिए बोर्ड मेंबर के चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। हालाकी विलय की प्रक्रिया काफी धीमी है। हिमाचल प्रदेश के योल कैंट बोर्ड के अलावा अभी तक शेष बचे कैंट बोर्ड को लेकर स्थिति साफ नहीं है। वहीं हिमाचल में कांग्रेस की सरकार आने के बाद तो प्रशासनिक रूख भी बदल गया है। पिछले दिनों हिमाचल सरकार ने रक्षा मंत्रालय की शर्तो पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
 
इधर चुनाव की मांग को लेकर कोर्ट की शरण
एक तरफ केंट बोर्ड के सिविल एरिया को विलय करने रक्षा मंत्रालय काम कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व मेंबर अमरचंद बावरिया ने चुनाव कराए जाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल कर रखी है। ऐसा बताया जा रहा है कि याचिका फायनल हियरिंग पर है। याचिका कर्ता अमरचंद बावरिया का कहना है कि 2019 में निर्वाचित मेंबर्स का कार्यकाल पूरा हो गया था, उसके बाद उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दिया गया था। इस हिसाब से 10 फरवरी 2020 से केंट बोर्ड में कोई भी निर्वाचित मेंबर नहीं है। वहीं केंट एक्ट के तहत नामित मेंबर नियुक्त करने की व्यवस्था है,लेकिन बीते 5 सालों में उसे भी नियुक्त नहीं किया गया। पूर्व मेंबर ने आरोप लगाते हुए कहां कि केंट बोर्ड कार्यालय में नागरिकों की समस्याओं पर अब ध्यान नहीं दिया जाता है,क्योंकि उनका पक्ष रखने वाले मेंबर अब नहीं है। बोर्ड में अधिकारी मनमानी कर रहे हैं।