Jabalpur News: जबलपुर में बोले महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस, "विकास के साथ विरासत को समझना भी जरूरी"
आर्य समय संवाददाता, जबलपुर। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस ने कहा कि विकास के साथ विरासत को भी समझना जरूरी है। विरासत को साथ लिए बिना कोई देश आगे नहीं बढ़ सकता। मुझे खुशी है कि नई शिक्षा नीति विकास परक होने के साथ विरासत को भी संजोए हुए है। वे मानस भवन में आयोजित शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में प्रदेश सरकार में मंत्री राकेश सिंह, शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह सहित सभी वरिष्ठ जन शामिल थे।
छत्रपति शिवाजी महाराज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें स्वराज के साथ सवधर्म की दिशा में भी सोचना चाहिए। इस ऐतिहासिक शताब्दी समारोह में मुझे उपस्थित होने का अवसर मिलने पर मैं खुशी का अनुभव कर रहा हूं। युग दृष्टा थे पुराने लोग- उन्होंने कहा कि हम सभी लोग जानते हैं कि सौ साल पहले इस शिक्षण संस्थान की नीव रखी गई। नीव रखने वालों ने इस बात को पहचाना कि भारत में शिक्षा को समान्य जन तक ले जाना पड़ेगा।
समूचा भारत एक ओर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था तब कई ऐसे दृष्टा भी थे जो इस बात की चिंता कर रहे थे कि समृद्ध समाज, समृद्ध भारत कैसे बनाएं। इसी के चलते देश भर में शिक्षण संस्थाओं का निर्माण हुआ। देश भर में जहां-जहां मराठी लोग पहुंचे, उन सभी ने वहां-वहां शिक्षा शुरू किया और मराठी विद्यालय स्थापित किए। सोच संकुचित नहीं विशाल हो- पानीपत की लड़ाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मराठी सोच संकुचित नहीं बल्कि विस्तारित होनी चाहिए।
पानीपत की पूरी कहानी बताते हुए उन्होंने कहा कि मराठी चाहते तो कह सकते कि हमारा क्या संबंध है पंजाब या ब्लूचिस्तान से। लेकिन उन्होंने कहा ये हमारे भारत का भू भाग है, हम इसे छोड़ंगे नहीं। और, इसी के चलते हमने लड़ाई लड़ी। मराठियों ने हिंदवी सम्राज्य को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि मराठी हमेशा वैश्विक विचार ही करेगा, छोटा विचार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि हम किसी एक प्रांत के लिए नहीं पूरे विश्व के लिए प्रार्थना करते हैं।
मराठी से शुरुआत- फडणवीस ने मराठी भाषा से भाषण की शुरुआत करते हुए बाद में हिंदी बोली, लेकिन ये भी कहा कि ये दुखद है कि मराठी कम हो रही है। उन्होंने कहा कि भाषाएं चलतीं रहनी चाहिए। जबलपुर से अपना पुराना नाता बताते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्टÑ शिक्षण मंडल को मराठी भाषा सिखाने के लिए कोई न कोई पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति में मातृभाषा और राष्टÑभाषा दोनो को महत्व दिया है। मातृभाषा में शिक्षा देने का काम नई शिक्षा नीति में हुआ है।
इतिहास बदल रहा धारण बदल रही- फडणवीस ने भारत के विकास और विस्तार की चर्चा करते हुए कहा कि जो कई वर्षों तक हमसे छिपाया गया, अब वो भी सामने आ रहा है। ये बहुत अच्छी बात है। प्रशांत पोल की किताबों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब मिथक झुठलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकास के साथ विरासत भी जरूरी होता है वही समाज आगे बढ़ृता है जो विकास के साथ विरासत को लेकर आग्र बढ़े। आज हमारी शिक्षा व्यवस्था के तहत विकास के साथ विरासत को समझने की दिशा में काम हो रहा है।