MP News: माताटीला डेम हादस के 18 घंटे की तलाश के बाद मिले 6 शव, 12 साल के बच्चे ने चोटी पकड़ कर बचाई थी मां-चाची की जान
MP News: 6 bodies found after 18 hours of search after Matatila Dam accident, 12-year-old child saved the lives of his mother and aunt by holding their braids

आर्य समय संवाददाता भोपाल। खनियाधाना थानान्तर्गत रजाव गांव में मंगलवार शाम माताटीला डैम के कैचमेंट एरिया में नाव में पानी भर जाने से 15 लाेग डूब गए थे। इनमें से 8 काे ताे दूसरी नाव के लाेगाें ने जैसे-तैसे बचा लिया था, जबकि 7 काे तलाशने के लिए 18 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था। बुधवार सुबह 10 बजे 55 वर्षीय शारदा लाेधी का शव पानी में दिखाई दिया, जिसे बाहर निकाल लिया गया। अब तक कुल 6 शव मिल चुके हैं।
प्रशासन ने जाे गोताखोर पानी में उतारे, वह ताे अधिक गहराई में नहीं जा पाए, लेकिन ग्रामीणों ने जब गहराई में डुबकी लगाई, ताे वहां डूबी हुई नाव दिख गई। जब नाव काे खींचा, ताे उसके नीचे फंसे दाे बच्चाें के शव दिखाई दिए। इस प्रकार तीन शवाें काे बाहर निकाल लिया गया है। हंगामे की आशंका काे देखते हुए डेम के पास ही अस्थाई पीएम हाउस बनाया गया है।
यहीं पर चिकित्सकों ने शवाें का पीएम किया। घटना के बाद माैके पर पहुंची पुलिस एवं प्रशासन की टीम के साथ स्थानीय ग्रामीणों ने नदी में उतरकर डूबे लाेगाें की तलाश शुरू की। हालांकि रात हाेने पर रेस्क्यू की रफ्तार धीमी थी, लेकिन सुबह होते ही पूरी ताकत से नदी में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।
अब तक शारदा पत्नी इमरत लाेधी उम्र 55 साल, शिवा पुत्र भूरा लाेधी उम्र 8 साल, कान्हा पुत्र कप्तान लाेधी उम्र 7 साल के शव निकाले जा चुके हैं। हादसे के बाद स्थानीय निवासियों में प्रशासन के प्रति खासी नाराजगी है। रजावन गांव के ग्रामीणों का कहना है कि जहां यह मेला लगता है, वह जगह खिरकिट पंचायत में पड़ती है।
ग्रामीणों द्वारा मेले के समय यहां सुरक्षा व्यवस्था करने को लेकर कई बार पंचायत व स्थानीय प्रशासन से मांग की गई है, लेकिन ग्रामीणों की मांग पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसी का परिणाम है कि यह गंभीर हादसा घटित हुआ। अगर पंचायत या प्रशासन ने यहां सुरक्षा के इंतजाम किए होते तो यह दुर्घटना नहीं हाेती।
नाव में सवार 12 वर्षीय बच्चे जानसन की हिम्मत से दो महिलाओं की जान बच गई। अगर वह नहीं होता, तो पानी में डूबने वालों की संख्या बढ़ सकती थी। जानसन का कहना है कि जब वह पानी में हाथ पैर चला कर अपने जीवन को बचाने की जदोजहद में लगा था, तभी उसकी मां सावित्री और चाची उषा ने उसके पैर पकड़ लिए, तभी उसने दोनों की चोटी पकड़ कर उन्हें खींच लिया। इसी दौरान गांव के शीतल भैया नाव लेकर आ गए। उन्होंने सबको नाव में बिठा लिया।