आर्य समय संवाददाता, जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) में 23 सिंतबर सोमवार से कर्मचारी राजनीति का माहौल गर्माया हुआ है। कुलगुरू के संरक्षण में काम करने वाले कर्मचारी संघ के बैनर तले निर्वाचित हुए कुछ पदाधिकारी विभिन्न मांगों को विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के गेट पर धरने पर बैठे हैं। वहीं उक्त धरने के विरोध में विश्वविद्यालय के शेष कर्मचारियों ने मोर्चा खोलते हुए पहले तो हस्ताक्षर अभियान चलाया, लेकिन अब वे भी नारेबाजी पर उतर आए हैं। हालात यह कि कभी धरने पर बैठे कर्मचारी नारेबाजी करते है, तो वहीं कुछ समय बाद धरने का विरोध कर रहे कर्मचारियों के नारे कैंपस में गुंजने लगते हैं। सबसे आर्श्चय की बात तो यह है कि उक्त पूरे घटनाक्रम पर कुलगुरू प्रो. राजेश वर्मा ने मौन साध रखा है। बात साफ है कि कुलगुरू के मौन साध लेने के चलते विश्वविद्यालय का कामकाज पूरी तरह ठप होने की कगार पर जा पहुंचा है।
दरअसल, कुल कर्मचारी कुलसचिव डॉ. दीपेश मिश्रा को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से हटाने के लिए क्रमिक हड़ताल पर है। वहीं विश्वविद्यालय के शेष कर्मचारी,अधिकारी,शिक्षक,अतिथि शिक्षक कुलसचिव के समर्थन में खडेÞ हो गए है। उनका कहना है कि कर्मचारियों के एक गुट अपने निजी स्वार्थों को लेकर कुलसचिव का विरोध कर रहा है। जिसे कुलगुरू मौन रहकर समर्थन दे रहे हैं। जिसके विरोध में विश्वविद्यालय के शिक्षक,अधिकारी,अतिथि विद्वान,कर्मचारियों द्वारा संयुक्त हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्व जिला अधिवक्ता संघ सुधीर नायक, वर्तमान में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मनीष मिश्रा सहित नमामि देवी प्रकल्प के जिला संयोजक एवं शासकीय शोभाराम महाविद्यालय के जनभागीदारी अध्यक्ष बलराम यादव ,अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के जिलाध्यक्ष रामकुमार यादव द्वारा भी कुलसचिव के पक्ष में हस्ताक्षर किया गया है। उनका कहना है कि विगत लगभग 5 वर्षों से किए जा रहे अथक प्रयासों के कारण ही विश्वविद्यालय को वर्तमान समय में नैक द्वारा ए ग्रेड प्राप्त हुआ है। कर्मचारियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय में 9 माह पूर्व आए कुलगुरु डॉ. राजेश कुमार वर्मा के कार्यकाल में ही विश्वविद्यालय का माहौल शैक्षणिक ना होकर राजनैतिक हो गया है।