महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत में बताया है कि 21 नवंबर 2024 को कुलगुरू और उनके दो अधीनस्थों के साथ बैठक के दौरान कुलगुरू प्रोफेसर राजेश वर्मा के अनुचित आचरण का सामना करना पड़ा। शिकायत में कहा गया है कि कुलगुरू ने मेरे अधीनस्थों को निर्देश देते समय मेरे प्रति अनुचित व्यवहार किया। उन्होंने आगे कहा कि यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। उन्होंने कहा कि एक महिला अधिकारी के प्रति ऐसा व्यवहार बेहद निराशाजनक,बेहद अनुचित और अस्वीकार्य है।
शिकायत में बताया गया कि उसी शाम लगभग 6 बजे कुलगुरू ने सार्वजनिक रूप से परीक्षा तिथि विस्तार के बारे में उनके खिलाफ निराधार आरोप लगाया, जबकि कुलगुरू को पता था कि एक अन्य अधिकारी समन्वयक था।
उन्होने बताया कि डीइटी परीक्षा की तिथि में वृद्धि को लेकर कुलगुरू द्वारा मुझ पर मिथ्या आरोप लगाया गया। जबकि समन्वयक प्रो.एसएस संधू अवकाश पर थे,जिसकी सूचना कुलगुरू को पूर्व से ही थी। हीईटी की परीक्षा की तिथि कुलगुरू के द्वारा ही अनुमोदित की गई थी। तत्पश्चात परीक्षा तिथि में वृद्धि हेतु भी कुलगुरू का अनुमोदन था। तिथि वृद्धि करने हेतु समन्वयक से चर्चा कर विधिवत रूप से सामान्य विभाग के द्वारा नरित प्रस्तुत की गई थी। जिस पर कुलसचिव एवं कुलगुरू द्वारा अनुमोदन किया गया।
यदि परीक्षा तिथि में वृद्धि को लेकर कुलगुरू को कोई आपत्ति थी तो मौखिक रूप से अथवा उसी नोटशीट पर उनके द्वारा निर्देशित किया जा सकता था। तथा आवश्यक होने पर अन्य को समन्वयक नियुक्त किया जा सकता था। पख्तु समस्त जानकारी होने के पश्चात भी परीक्षा तिथि वृद्धि पर छात्रों के रोष का गुबार उपस्थित बरिष्ठ शिक्षकों, अधिकारियों,कर्मचारियों, अतिथि शिक्षकों एवं छात्रों के समक्ष मुझ पर निकालते हुए यहां भी सार्वजनिक रूप से मुझ पर ही दोषारोपण किया गया और अपमानित किया गया। इसी प्रकार शिकायत में 13 अक्टूबर 2024 को एक अन्य कथित घटना का उल्लेख भी किया गया है। महिला अधिकारी का आरोप है कि कुलगुरू ने अपराधियों को बचाते हुए, केवल मौखिक आश्वासन दिया और उन्हें इस साल अक्टूबर में शिकायत दर्ज करने से रोका गया। उन्होंने शिकायत के साथ व्हाट्सएप ग्रुप के स्क्रीन शॉट संलग्न किए हैं।