Jabalpur News: कैंट सिविल एरिया का निकाय में विलय के महाराष्ट्र फार्मूले ने होश उड़ाएं

Jabalpur News: Maharashtra formula of merging Cantt Civil Area into the body has shocked everyone

Jabalpur News: कैंट सिविल एरिया का निकाय में विलय के महाराष्ट्र फार्मूले ने होश उड़ाएं

आर्य समय संवाददाता,जबलपुर। कैंट बोर्ड के सिविल एरिया के निकायों में विलय को लेकर सामने आए "महाराष्ट्र फार्मूले" ने सबके होश उड़ा दिए हैं। दरअसल, देशभर के कैंट बोर्ड के सिविल एरिया को समीपस्थ निकायों में विलय किया जा रहा है। लेकिन विलय की शर्ते क्या होगी, इसको लेकर कोई भी स्पष्ट बात सामने नहीं आ रही है। मुख्य रूप से ओल्ड ग्रांड बंगले, लीज लैंड का क्या होगा। वहीं कैंट बोर्ड के नियमित और संविदा कर्मचारियों का भविष्य क्या होगा।

इस बीच जुलाई माह में महाराष्ट्र के सात कैंट बोर्ड के सिविल एरिया को निकायों में विलय को लेकर एक साथ निर्णय लिया गया। जिसके मिनिट्स अब सामने आएं है। यदि यही आधार अन्य कैंट बोर्ड में प्रभावी हुआ तो भारी उथल-पुथल मचेगी। बैठक में यह तो साफ हो गया कि रक्षा मंत्रालय अब कैंट बोर्ड के सिविल एरिया को अपने पास नही रखना चाहता है। लिहाजा रक्षा मंत्रालय ने अपनी उस शर्त से अपने कदम पीछे खींच लिए है।

जिसके तहत वह राज्य को दी जाने वाली भूमि के बदले भूमि की डिमांड कर रहा था। रक्षा मंत्रालय ने महाराष्टÑ के मामले में यह साफ कर दिया है कि अब विलय फ्री आॅफ कॉस्ट होगा। सिविल एरिए की जमीन पूरी की पूरी निकायों को स्थानातंरित होगी। वहीं विलय के पूर्व के सभी दायित्व व लेनेदेन को कैंट बोर्ड पूरा क्लीयर करके देगा। उदाहरण के तौर पर बिजली बिल आदि।

कर्मचारियों के लिए तय हुआ मापदंड - इस विलय से कैंट बोर्ड कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों पर सीधा-सीधा प्रभाव पड़ना है। महाराष्टÑ को लेकर तय हुए मसौदे के मुताबिक कैंट बोर्ड के कर्मचारी भी निकायों में स्थानांतरित होंगे। लेकिन उसको लेकर कुछ शर्ते तय कि गई है। जैसे कि संविदा कर्मचारियों को निकायों में नहीं भेजा जाएगा। बात साफ है कि विलय के साथ ही उनकी सेवाएं भी समाप्त हो जाएंगी।

वहीं जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के लिए एक या दो साल ही शेष बचे है। उन्हें भी निकायों में स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। वे बोर्ड के कर्मचारी के तौर पर सेवाएं देते रहेंगे। उनकी पेशन व अन्य दायित्वों का निपटारा भी बोर्ड ही करेगा। सबसे महत्वपूर्व बात यह कि जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति में पांच या उससे ज्यादा का समय शेष होगा,केवल उन्हीं को निकायों में स्थानांतरित किया जाएगा। 

ओल्ड ग्रांट और लीज भूमि को लेकर असमंजस - रक्षा मंत्रालय ने ओल्ड ग्रांट बंगले व लीज भूमियों के मामले में स्पष्ट किया है कि उनका विलय तो होगा,लेकिन स्वामित्व रक्षा मंत्रालय के पास ही रहेगा। मतलब सिविल एरिया में आने वाले बंगले निकायों के हवाले तो हो जाएंगे। लेकिन उनकी जमीनों को खुर्दबुर्द नहीं किया जा सकेगा।

क्योंकि उसका स्वामित्व रक्षा मंत्रालय के पास ही रहेगा। इस निर्णय ने बंगले वासियों की नींच उड़ा दी है। क्सोकि ज्यादातर को यह सपना दिखाया जा रहा था कि बंगले का विलय होने के बाद मलिकाना हक उन्हें मिल जाएगा। मगर उनके सपने पर रक्षा मंत्रालय ने तोड़ दिया है।