Jabalpur News: RDVV कुलगुरु की योग्यता विवाद में हुई दिग्विजय सिंह की एंट्री
Jabalpur News: Digvijay Singh enters the RDVV Vice Chancellor's qualification controversy

आर्य समय संवाददाता जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (RDVV) कुलगुरु प्रोफेसर राजेश वर्मा के मूल पद पर नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद में अब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की भी एंट्री हो गई है। सासंद दिग्विजय सिंह ने बतौर राज्यसभा की शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष होने के नाते प्रोफेसर वर्मा के मूल पद पर नियुक्ति में प्रश्न खड़ा करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
उन्होंने पत्र के माध्यम से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलगुरु प्रो. राजेश कुमार वर्मा की नियुक्ति को लेकर गंभीर अनियमितताओं की ओर संकेत किया है। पत्र के अनुसार, वर्ष 2009 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा जारी विज्ञापन में स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि प्रोफेसर पद हेतु वे व्यक्ति पात्र होंगे जिनका उच्च गुणवत्ता का शोध कार्य रहा हो एवं पीएच.डी. डिग्री और कम से कम दस वर्षों का शिक्षण अनुभव अनिवार्य है।
लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि प्रो. राजेश कुमार वर्मा ने अपनी पीएच.डी. डिग्री 25 नवम्बर 2008 को प्राप्त की थी, और केवल दो महीने बाद वे इस पद के लिए आवेदन कर दिया और चयनित हो गए। जबकि उक्त दिनांक तक उनके द्वारा कोई भी प्रतिष्ठित शोध पत्रिका में शोध पत्र का प्रकाशन नहीं किया गया था। न्यायिक निर्णयों और यूजीसी नियमों के अनुसार, शिक्षण अनुभव की गणना पीएच.डी. के बाद ही की जाती है।
ऐसे में यह स्पष्ट है कि प्रो. वर्मा विज्ञापन की पात्रता को पूरा ही नहीं करते थे। उन्होंने ने पत्र में कहा है कि यह कोई साधारण चूक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित नियुक्ति घोटाला प्रतीत होता है। एक ओर जहां हजारों योग्य उम्मीदवार उचित अवसर के लिए संघर्ष करते हैं, वहीं दूसरी ओर एक व्यक्ति झूठी योग्यता और नियमों की अनदेखी करके न केवल प्रोफेसर बना, बल्कि अब विश्वविद्यालय का कुलपति भी बन गया।
उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे पर जबलपुर NSUI लगातार हमलावर रही है। मामला इस बार विधानसभा तक भी पहुंच चुका है। इसी कड़ी में एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष अमित मिश्रा ने इस मामले की शिकायत खुद जाकर वरिष्ठ सांसद दिग्विजय सिंह को सौंपी थी। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए श्री सिंह ने तुरंत केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, मध्यप्रदेश के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को एक विस्तृत पत्र भेजा, जिसमें प्रो. वर्मा की नियुक्ति प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।