Jabalpur News: कटंगा की बेशकीमती रक्षा भूमि पर गृह निर्माण सोसायटी कर रही अवैध कब्जा, DEO ने कलेक्टर को लिखा पत्र
Jabalpur News: Housing society is illegally occupying the valuable defense land of Katanga, DEO wrote a letter to the collector
 
                                    आर्य समय संवाददाता,जबलपुर। नोटिफाइड कैंटोनमेंट एरिया में एक सोसायटी द्वारा बेशकीमती रक्षा भूमि में कब्जा किए जाने की शिकायत कलेक्टर कार्यालय को भेजी गई है। यह शिकायत सैन्य भूमियों का प्रबंधन देखने वाला डिफेंस ईस्टेट कार्यालय (डीईओ) के द्वारा लिखित तौर दर्ज कराई गई है।
इस शिकायत ने डिफेंस ईस्टेट आफिस और सोसायटी के बीच चले आ रहे विवाद को एक नया मोड़ दे दिया है। इसके साथ ही डीईओ कार्यालय ने जिला प्रशासन से सीमांकन कराए जाने की मांग भी की है। पूरा मामला कटंगा की करीब तीन एकड़ जमीन से जुड़ा हुआ है। जिसकी कीमत करोड़ो रूपए बतायी जा रही है।
क्या है पत्र में - डिफेंस ईस्टेट ऑफिसर ने कलेक्टर को लिख पत्र में बताया है कि कल्याणकारी गृह निर्माण सहकारी समिति जबलपुर को राज्य शासन द्वारा सर्वे संख्या 59, जबलपुर छावनी में से लगभग 3 एकड़ रक्षा भूमि की लीज आवंटित की गई थी। परंतु समिति द्वारा राज्य शासन द्वारा जिस स्थान पर भूमि आवंटित की गई है, उसे बिना सीमांकन के वास्तविक स्थान से हटकर अतिरिक्त रक्षा भूमि का अवैध कब्जा करते हुए, बाउण्ड्री वाल का निर्माण कर लिया गया है। समिति द्वारा न केवल अतिरिक्त रक्षा भूमि पर कब्जा किया गया है अपितु उन्हें आवंटित भूमि के वास्तविक स्थान के इत्तर बाउण्ड्री वाल का निर्माण कर लिया गया है।
बड़ी देर बाद होश आया - दरअसल,डिफेंस ईस्टेट ऑफिस काफी लंबे समय से कैंट जीएलआर सर्वे नंबर 59 कटंगा लिटिल वर्ल्ड स्कूल के सामने की जमीन को अपने अधिकार क्षेत्र के होने का दावा करता रहा है। वहीं इस दावे को खारिज करते हुए सोसायटी का कहना है कि1981 में कल्याणकारी गृह निर्माण सहकारी समिति मर्या. (सोसाइटी) का गठन किया गया था।
सदस्यों का कहना है कि कटंगा लिटिल वर्ल्ड स्कूल के सामने स्थित भूखंड कल्याणकारी गृह निर्माण सहकारी समिति मर्या. का है। राज्य शासन मध्य प्रदेश द्वारा वर्ष 1986 में समिति को राजस्व ग्राम गोरखपुर (कटंगा) में खसरा नम्बर 773/5, 774/5, 775/4, 776/8 क्षेत्रफल 3 एकड़ भूमि आवंटित कर स्थायी पट्टा दिया गया था। इस मामले में कई कानूनी लड़ाईयों के बाद तत्कालीन अपर कलेक्टर जबलपुर द्वारा समिति को नवीनीकृत स्थायी पट्टा जारी कर दिया गया है। वहीं डिफेंस ईस्टेट आॅफिस इस दावे का विरोध करता था।
विवाद के शुरू से अभी तक देखने में यह आया है कि किसी भी पक्ष ने भूमि सीमांकन की मांग नहीं उठाई थी। जबकि विवाद को हल करने का सबसे आसान तरीका यही था कि डीईओ और जिला राजस्व विभाग संयुक्त सीमांकन करके मामले को हल कर लेता। इससे दोनों पक्ष अपने रिकार्ड को भी दुरूस्त कर लेते। खैर करीब 1986 से चले आ रहे विवाद को हल करने अब 2025 में ही सही सीमाकंन की मांग तो उठी है।
 
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