Jabalpur News: कुलगुरु के मास्टर स्टोक से RDVV में कर्मचारी राजनीति गर्माई

Jabalpur News: Employee politics heated up in RDVV due to Vice Chancellor's master stoke

Jabalpur News: कुलगुरु के मास्टर स्टोक से RDVV में कर्मचारी राजनीति गर्माई

आर्य समय संवाददाता,जबलपुर। मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग से जारी एक आदेश ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) के कर्मचारी संघ की राजनीति में गर्माहट ला दी है। दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी करते हुए 1991 से तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी संवर्ग के 70 पदोन्नति के पदों को निरस्त कर दिया है। यह सब लंबे से समय से चल रहे भर्ती घोटाले के जांच में सामने आए तथ्यों के बाद हुआ है। जांच तो वर्षो से चल रही थी, लेकिन जब उक्त मामला वर्तमान कुलगुरू प्रो. राजेश वर्मा के संज्ञान में आया तो उन्हें पूरे फर्जीवाड़े को समझने में ज्यादा समय नहीं लगा। जिसके बाद 11 नवंबर  2024 को फाइनल रिपोर्ट को उच्च शिक्षा विभाग के हवाले कर दिया गया। कुलगुरू ने तो वर्षो पहले हुए फर्जीवाड़े का खुलासा कर बड़ा मास्टर स्टोक लगाया था। लेकिन उक्त आदेश के व्यापक असर से कर्मचारी घबरा गए हैं। बताया जाता है कि पद समाप्त होने से करीब 200 से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित होंगे। वहीं बहुत सारे कर्मचारी ऐसी स्थिति में पहुंच जाएंगे, जिनकी नियुक्ति पर ही प्रश्न चिंह लग जाएगा।

विश्वविद्यालय स्वयं अपने स्त्रोतों से वहन कर रहा था-
कर्मचारी संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह पटैल तथा महासचिव राजेन्द्र शुक्ला ने बताया कि वर्ष 1997 में पद सृजित करने का निर्णय विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा तत्समय कार्य की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए लिया गया था। इस हेतु शासन से अतिरिक्त अनुदान की मांग भी नहीं की गई और ना ही शासन द्वारा कोई अनुदान स्वीकृत किया गया है।
इन पदों पर आने वाला वित्तीय भार विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं अपने स्त्रोतों से वहन किया जा रहा है। राज्य शासन की स्वीकृति की प्रत्याशा में पद सृजन उपरांत कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया और पद सृजन के अनुमोदन हेतु राज्य शासन से मांग की गई थी। ऐसे में 27 वर्ष पूर्व लिए गए पद सृजन के निर्णय को शासन द्वारा बिना उचित पक्ष के सुने निरस्त कर देना अमानवीय एवं असंवैधानिक एवं निंदनीय है।

इधर, कुलगुरू के बयान से आक्रोश -
पूर्व अध्यक्ष एवं प्रान्तध्यक्ष वंशबहोर पटेल, पूर्व महासचिव संजय यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के 70 पदों को लगभग 30 वर्षो बाद निरस्त कर दिया है जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के प्रतिकूल है,तथा इस संवेदनशील विषय पर समाचार पत्र में कुलगुरु द्वारा दिए गए बयान से कर्मयोगी कर्मचारी पूरी तरह से आक्रोश में है।
इस आदेश को निरस्त नहीं कराने पर रिटायर कर्मचारियों के बैकलॉग नियुक्ति अनुकम्पा नियुक्ति तथा 2008-2013के नियमितीकरण पर भी संकट पैदा हो सकता है। इसलिए कर्मचारियों ने एक राय बनाई है कि कुलगुरु के विश्वविद्यालय आने पर सभी कर्मचारियों के साथ इस आदेश को निरस्त करवाने के लिए शासन को यथोचित पत्र भेजा जाए,ऐसा नहीं होने पर समस्त कर्मचारी चर्चा कर कर्मचारी हित में विश्व विद्यालय को अनिश्चित काल तक  बंद करने पर भी निर्णय ले सकते है।