Jabalpur News: RDVV स्नातक प्रथम वर्ष के एग्जाम में सामने आई लापरवाही, छात्रा नहीं दे पायी पेपर

Jabalpur News: Negligence came to the fore in RDVV graduation first year examination, student could not give the paper

Jabalpur News: RDVV स्नातक प्रथम वर्ष के एग्जाम में सामने आई लापरवाही, छात्रा नहीं दे पायी पेपर

आर्य समय संवाददाता, जबलपुर। आज से प्रारंभ हुई रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (RDVV) की स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा में लापरवाही के चलते एक छात्रा परीक्षा से वंचित रह गई। दरअसल, छात्रा को जो प्रवेश पत्र मिला था उसमें जानकी रमण महाविद्यालय एग्जाम सेंटर के तौर पर अंकित था। लेकिन जब उत्तरपुस्तिका मिलने के बाद छात्रा को यह कहते हुए एग्जाम सेंटर से चलता कर दिया गया कि तुम्हारा सेंटर नवयुग काॅलेज में है। इसके बाद छात्रा जब नवयुग काॅलेज पहुंची तो उसे अनुपस्थित करार देते हुए परीक्षा नहीं देने दिया।

इस मामले में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के जिला अध्यक्ष सचिन रजक ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन वाहवाही बटोरने के चक्कर में भले ही जल्दबाजी में परीक्षा परिणाम घोषित कर रहा है। लेकिन हकीकत में जमीनी स्तर पर अव्यवस्था और गैर-जिम्मेदारी की पराकाष्ठा हो रही है। एक ताजा शर्मनाक घटना में बीए स्वाध्यायी की एक छात्रा के पूरक परीक्षा के प्रवेश पत्र में परीक्षा केंद्र के रूप में जानकीरामण महाविद्यालय अंकित किया गया था।

छात्रा निर्दोष भाव से समय पर उक्त केंद्र पहुंची, परीक्षा कक्ष में बैठी, प्रश्न पत्र और उत्तरपुस्तिका भी प्राप्त कर ली। लेकिन एक घंटे बाद परीक्षा निरीक्षक ने उसे यह कहकर बाहर निकाल दिया कि उसका वास्तविक परीक्षा केंद्र तो नवयुग कॉलेज है। भागती-दौड़ती छात्रा जब नवयुग कॉलेज पहुंची, तो वहां उसे दो टूक कह दिया गया कि उसे अनुपस्थित घोषित कर दिया गया है और अब परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो सकती। छात्रा की मेहनत, सपने और भविष्य  सबकुछ विश्वविद्यालय प्रशासन की घोर लापरवाही की भेंट चढ़ गया। छात्रा ने उक्त शिकायत कुलसचिव से की है। ऐसे और भी मामले हैं जिनमें छात्र धीरे धीरे सामने आ रहे हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छात्रा के प्रवेश पत्र में परीक्षा सत्र जून 2025 का अंकित था, जबकि यह परीक्षा मार्च 2025 सत्र के लिए आयोजित हो रही थी। ऐसे सैकड़ों छात्र हैं जिनके प्रवेश पर में सत्र मार्च 2025 की जगह जून 2025 अंकित है जिससे छात्रों में भ्रम की स्थिति है। यह कोई एकलौता मामला नहीं है।

पूर्व में भी कई बार त्रुटिपूर्ण प्रवेश पत्र जारी करने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिन्हें छात्रों की शिकायतों के बाद सुधारना पड़ा था। यह दर्शाता है कि विश्वविद्यालय न तो छात्रों के भविष्य को लेकर गंभीर है और न ही अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग। संभवतः ऐसे और भी अनेक मामले हुए होंगे जिनमें विश्वविद्यालय की लापरवाही के चलते छात्र परीक्षा से वंचित हुए हो। सचिन रजक ने कहा, "यह प्रशासनिक कुप्रबंधन नहीं, बल्कि छात्रों के सपनों की निर्मम हत्या है।