भोपाल में भीम आर्मी का शक्ति प्रदर्शन, जानिये MP में इसका कितना असर ?

मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनावी साल की शुरुआत में ही प्रदेश में जातिगत और सामाजिक आंदोलन सत्ताधारी दल बीजेपी और कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा रहे हैं। पहले 8 जनवरी को राजधानी के जंबूरी मैदान पर करणी सेना परिवार ने अपनी मांगों को लेकर शक्ति प्रदर्शन किया। इस आंदोलन के एक महीने बाद भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी ने 12 फरवरी को अपनी ताकत दिखाई।

भोपाल में  भीम आर्मी का शक्ति प्रदर्शन, जानिये MP में इसका कितना असर ?

मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनावी साल की शुरुआत में ही प्रदेश में जातिगत और सामाजिक आंदोलन सत्ताधारी दल बीजेपी और कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा रहे हैं। पहले 8 जनवरी को राजधानी के जंबूरी मैदान पर करणी सेना परिवार ने अपनी मांगों को लेकर शक्ति प्रदर्शन किया। इस आंदोलन के एक महीने बाद भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी ने 12 फरवरी को अपनी ताकत दिखाई।

आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने विधानसभा चुनाव तक एमपी में 5 यात्रा निकालने और सत्ता परिवर्तन के लिए लड़ाई जारी रखने का ऐलान कर दिया। आरक्षण के समर्थन में दलित और आदिवासी वर्ग के साथ ही ओबीसी महासभा ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया। भीम आर्मी के आंदोलन के पीछे की बड़ी वजह करणी सेना के आंदोलन में आरक्षण में संशोधन और एट्रोसिटी एक्ट के नियमों में बदलाव की मांगों को माना जा रहा है। जनवरी में करणी सेना के आंदोलन के दौरान ही भीम आर्मी ने भोपाल में आरक्षण के समर्थन में बड़े शक्ति प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी थी। इन दोनों आंदोलन का चुनावी सियासत पर कितना असर पड़ेगा। 

जनवरी में आंदोलन करने वाले करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर कहते हैं कि हमारे आंदोलन के बाद सरकार ने लिखित में आश्वासन दिया था। अफसरों की कमेटी बनाकर दो महीने में कार्रवाई करने का भरोसा दिया था। एक महीने का वक्त निकल चुका है। अब तक कुछ भी नहीं हुआ, बल्कि हमारे कार्यकर्ताओं पर लगातार मुकदमे बनाए जा रहे हैं। जो गलती हमारे लोगों से हुई थी, हम सबने उसके लिए सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी थी। मुख्यमंत्री जी ने भी ट्वीट कर सबको माफ करने की बात कही थी, लेकिन सीएम के माफ कर देने के बाद भी हमारे साथियों पर केस लगाए जा रहे हैं। एक साथी तो जेल में बंद हैं। उनकी जैसे ही एक मामले में जमानत होती है, दूसरे थाने में केस दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया जाता है।

शेरपुर ने कहा कि अगर सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी तो हम फिर बड़ा आंदोलन करेंगे। जहां तक बात आरक्षण में संशोधन और एट्रोसिटी एक्ट में बिना जांच गिरफ्तारी वाले मामले की है, उन्हें हमने केन्द्र के अधीन छोड़ दिया, लेकिन सरकार राज्य के मामलों पर जल्दी फैसला ले। वरना आने वाले चुनाव में हम बीजेपी को सबक सिखाएंगे।

आजाद समाज पार्टी मध्यप्रदेश के अध्यक्ष सुनील आस्तेय ने बताया कि जब दलितों के खिलाफ अन्याय के मामले बढ़ने लगे तो पिछले साल 16 अक्टूबर को हमने प्रदेशभर में यात्रा निकालने की रणनीति बनाई थी। अन्याय के खिलाफ सामाजिक न्याय यात्रा 2 जनवरी को हम भोपाल में खत्म करने वाले थे, लेकिन भोपाल में प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। फिर हमने 10 जनवरी की परमिशन मांगी, वह भी नहीं दी। फिर 12 फरवरी को भोपाल में आंदोलन की डेट फाइनल हुई। हमने पिछले साल 9 दिसंबर को इसकी घोषणा की थी। इसी बीच करणी सेना के आंदोलन में आरक्षण को लेकर बात छेड़ दी। सरकार ने भी करणी सेना का साथ दिया। फिर हमने तय किया कि हम आरक्षण के समर्थन में लड़ेंगे और प्रदेशभर में विधानसभा से लेकर संभाग स्तर पर प्रचार किया।

सुनील आस्तेय ने बताया कि कई जिलों में परमिशन नहीं दी। हमारे साथ ऐसा भेदभाव किया गया। करणी सेना के आंदोलन में तीन हजार पुलिस के जवान लगाए गए, लेकिन भीम आर्मी के आंदोलन में पुलिस नजर नहीं आई। इसको लेकर पुलिस कमिश्नर से मिलेंगे। हमारे आंदोलन स्थल पर पानी के टैंकर तक नहीं भेजे गए।

हमारी मुख्य मांगें एक महीने के अंदर नहीं मानी गई तो हम फिर दोगुनी संख्या में आएंगे। अबकी बार जंबूरी मैदान पर ही अपनी ताकत दिखाएंगे। अगर सरकार नहीं सुनती है, तो जयस, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, ओबीसी महासभा के साथ मिलकर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाएंगे। दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के तीन डिप्टी सीएम बनाएंगे।​​​​​​

करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर अपने साथियों के साथ जंबूरी मैदान पर ही भूख हड़ताल पर बैठ गए। उनके समर्थन में जंबूरी मैदान पर भारी जन सैलाब नजर आया। हजारों की संख्या में वाहन जुटे। दोपहर में जब भीड़ जुटी और करणी सेना परिवार ने विधानसभा घेराव का ऐलान किया तो पुलिस के जरिए सरकार का संदेश पहुंचा कि आपसे मिलने के लिए सरकार की ओर से प्रतिनिधि आएंगे, लेकिन शाम तक कोई नहीं आया। इसके बाद एक दिन के आंदोलन को अनिश्चितकालीन धरने में बदलकर करणी सेना के कार्यकर्ता जंबूरी मैदान पर ही धरने पर बैठ गए।

इधर, सरकार के मंत्री अरविंद भदौरिया से करणी सेना परिवार के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा की, लेकिन वार्ता विफल रही। इसके बाद अगले दिन कार्यकर्ताओं ने एमपी नगर की ओर कूच कर दिया। पुलिस ने भेल के महात्मा गांधी चौराहे पर ही करणी सेना के कार्यकर्ताओं को रोक दिया। इसके बाद करणी सेना के लोग वहीं धरने पर चार दिन तक बैठे रहे। अंत में चौथे दिन की रात आठ बजे शिवराज सरकार के मंत्री अरविंद भदौरिया धरनास्थल पर पहुंचे और आश्वासन देकर धरना समाप्त कराया। मंत्री भदौरिया ने करणी सेना परिवार की मांगों पर विचार कर रिपोर्ट देने के लिए जीएसडी के पीएस की अध्यक्षता में अफसरों की कमेटी बनाने की घोषणा की।