तुर्किये में मलबे से बाहर आ रही जिंदगियाँ, कोई अपना यूरिन पी कर ज़िंदा तो कोई गाने से अपना मन बहला रहा
6 फरवरी को तुर्किये-सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप से अब तक 24 हजार से लोगों की मौत हो चुकी है। 95 से ज्यादा देश यहां मदद भेज रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। तुर्किये में अब तक 30 हजार से ज्यादा लोगों को बचा लिया गया है।

6 फरवरी को तुर्किये-सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप से अब तक 24 हजार से लोगों की मौत हो चुकी है। 95 से ज्यादा देश यहां मदद भेज रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। तुर्किये में अब तक 30 हजार से ज्यादा लोगों को बचा लिया गया है।
भूकंप के केंद्र तुर्किये का गाजियांटेप शहर था। यहां तबाही के 94 घंटे बाद रेस्क्यू टीम ने 17 साल के लड़के को जिंदा बाहर निकाला। अदनान मुहम्मद कोरकुट ने बाहर निकलने के बाद बताया कि 4 दिन मलबे के बीच जिंदा कैसे रहा।
उसने कहा- मैंने जिंदा रहने के लिए अपना पेशाब पीया और आस-पास बिखरे पड़े कुछ फूल खाए। उसने कहा- भूकंप के समय मैं अपने परिवार के साथ घर में सो रहा था। आंख खुली तो सब तबाह हो चुका था। मलबे के बीच फंसे रहने के दौरान मुझे लोगों की आवाज सुनाई दे रही थी। लेकिन मुझे लग रहा था कि वो लोग मेरी आवाज नहीं सुन पा रहे हैं। 4 दिन बाद मुझे रेस्क्यू किया गया।
तुर्किये में भूकंप से 10 शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। इनमें से एक कहरामनमारस शहर है। यहां एक बहुमंजिला इमारत के मलबे से शनिवार को दो बच्चों का रेस्क्यू किया गया। दोनों की उम्र 10 साल से कम है। तबाही के 5 दिन इन बच्चों ने न तो पानी पीया और न ही कुछ खाया।
भूखे-प्यासे ये दोनों बच्चे कड़ाके की ठंड में मदद का इंतजार कर रहे थे। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सिक्योरिटी फोर्सेस, डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ मौजूद था। जैसे ही बच्चों को बाहर निकाला गया, मेडिकल टीम ने एंबुलेंस में उनका इलाज किया।
इसकेंदेरून शहर में दो बहनें अपने माता-पिता के साथ सो रही थीं। तभी भूकंप से उनका घर तबाह हो गया। सब मलबे में दब गए। रेस्क्यू टीम जब मदद के लिए पहुंची तो दोनों बच्चियां काफी डरी हुई थीं। उन्होंने बताया कि खुद को शांत करने के लिए वो पॉप सॉन्ग सुन रही थीं। उन्होंने कहा- हम बस बाहर आना चाहते थे। मदद का इंतजार करते-करते काफी समय हो गया था। अपने डर पर काबू पाने के लिए हमने गाना सुनना शुरू कर दिया।