अमित शाह की टिप्पणी पर बांग्लादेश के मीडिया में हल चल , बाइडन-यूनुस मुलाक़ात पर क्या कह रहे हैं जानिए

अमित शाह की टिप्पणी पर बांग्लादेश के मीडिया में हल चल , बाइडन-यूनुस मुलाक़ात पर क्या कह रहे हैं जानिए

भारत के गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर सोमवार को बांग्लादेश ने कड़ी आपत्ति जताई थी.बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा था, ''जब सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोग इस तरह की टिप्पणी करते हैं तो आपसी समझ और सम्मान पर सीधा असर पड़ता है.''

हालांकि भारत में बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों का मामला कोई नया नहीं है और चुनाव में यह अक्सर उठते रहता हैबीजेपी के चुनावी एजेंडे में यह मुद्दा हमेशा से रहा है.अमित शाह और बीजेपी की ओर से चुनावी रैलियों में इस तरह की टिप्पणियाँ पहले भी हुई हैं और बांग्लादेश पहले भी आपत्ति जताता रहा है. लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है.बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद का माहौल

पहले जब अमित शाह बांग्लादेश की ओर से घुसपैठ का मुद्दा उठाते थे, तब बांग्लादेश में शेख़ हसीना की सरकार थी.

शेख़ हसीना को भारत समर्थक प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाता था लेकिन अब वहाँ एक ऐसी सरकार है, जो हसीना को अपदस्थ करके आई है.शेख़ हसीना अभी भारत में रह रही हैं. बांग्लादेश की वर्तमान सरकार चाहती है कि भारत शेख़ हसीना को सौंप दे.अमित शाह के बयान और बांग्लादेश की आपत्ति को ढाका से छपने वाले अख़बारों ने भी जगह दी है.बांग्लादेश के प्रमुख अख़बार ढाका ट्रिब्यून ने तो बुधवार को संपादकीय टिप्पणी छापी है.

इस संपादकीय टिप्पणी में कहा गया है, ''अमित शाह का बयान निंदनीय और ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है. बांग्लादेश में अवामी लीग की सरकार जाने के बाद से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पहले से ही है. ऐसे में भारत के किसी नेता की तरफ़ से इस तरह की टिप्पणी आएगी तो संबंध और ख़राब होंगे. यह अच्छी बात है कि इन मामलों में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार स्पष्ट रूप से अपना रुख़ ज़ाहिर कर रही है. इससे पहले भारत बांग्लादेश बॉर्डर पर एक बांग्लादेशी की मौत को लेकर भी अंतरिम सरकार ने विरोध दर्ज कराया था.''

ढाका ट्रिब्यून ने अपनी संपादकीय टिप्पणी में लिखा है, ''दोनों देशों के प्रतिनिधि न्यूयॉर्क में मिल चुके हैं. इससे स्पष्ट है कि दोनों देश अपने ऐतिहासिक संबंधों को मधुर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. लेकिन इस बीच शत्रुता भरे बयान कहाँ से आते हैं? भारत से बांग्लादेश दोस्ताना संबंध चाहता है लेकिन भारत को चाहिए कि वह अपने नेताओं को बांग्लादेशी नागरिकों के प्रति नफ़रत भरे बयान देने से रोके.''