हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकटः 2 लाख कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी, 1.5 लाख पेंशनर्स भी खाली हाथ

हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में लगभग 94 हजार करोड़ रुपये का भारी कर्ज है. इस वित्तीय बोझ ने राज्य की वित्तीय स्थिति को अत्यधिक कमजोर कर दिया है, जिसके का..कारण राज्य सरकार को पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं. कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए राज्य सरकार पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देनददेनदारियां बकाया हैं.जानकारी के अनुसार, 1 सितंबर को रविवार होने की वजह से सोमवार को कर्मचारी और पेंशनर्स दिन भर सैलरी क्रेडिट के लिए मोबाइल पर मैसेज चेक करते रहे. इस दौरान कर्मचारी एक दूसरे से भी पूछते रहे कि क्या उनकी सैलरी आ गई. लेकिन शाम तक पुलिस, राजस्व, फोरेस्ट, पीडब्ल्यूडी सहित अन्य विभागों के कर्मचारियों की सैलरी क्रेडिट नहीं हुई. बहुत से कर्मचारियों ने सोशल मीडिया के जरिये भी अपना गुब्बार निकाला और बताया कि पहली बार 1 तारीख को सैलरी क्रेडिट नहीं हुई है.
सीएम बोले-भाजपा सरकार की वजह से संकट
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र में आर्थिक संकट पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया. सीएम ने सदन में जवाब में कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के कुप्रबंधन से प्रदेश में आर्थिक संकट आया है. बिजली, पानी और पता नहीं, क्या-क्या मुफ्त दिया गया. प्रदेश में बिजली पर 14 प्रकार की सब्सिडी दी जाती थी और हमने वन मीटर-वन फैमिली की नीति लागू की. 1 सितंबर से जो सरकार की ओर से निजी होटलों को दी जा रही सब्सिडी को बंद किया, 1 रुपये सब्सिडी वाली सारी योजनाएं बंद की गई हैं. सीएम ने बताया कि 125 यूनिट मुफ्त बिजली जब से लागू हुई है, तब से 1247.75 करोड़ का नुकसान सरकार को हुआ है. भाजपा ने फ्रीबीज दी है.जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर बोला हमला
उधर, पूर्व सीएम और प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि दो दिन से लोग वेतन की राह देख रहे हैं. फ़ोन के हर मेसेज यही सोचकर चेक करते है कि कहीं वेतन तो नहीं आया. अपने सहकर्मियों और अन्य विभागों के लोगों से फ़ोन करके पूछ रहे हैं कि सैलरी आई क्या? आज तक प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं आई थी कि कर्मचारियों को वेतन के लिए तरसना पड़े. प्रदेश के मुखिया कहते हैं कि कोई आर्थिक संकट नहीं हैं. जब आर्थिक संकट नहीं है तो वेतन क्यों नहीं आ रहा है? सरकार को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि कर्मचारियों का वेतन और पेंशनरों की पेंशन कब आएगी. कर्मचारियों के पास आय के कोई और साधन नहीं होते हैं, उन्हें वेतन से ही परिवार पालना होता है. ऐसे में बिना वेतन के परिवार कैसे पलेगा?
सरकार के पास नहीं पैसे
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सरकार ने आंकड़े रखे हैं. इनके अनुसार, राज्य सरकार राजस्व घाटा अनुदान और लोन लिमिट में केंद्र सरकार ने कटौती की है. इसी वजह से हिमाचल में आर्थिक संकट आया है. वित्त वर्ष में रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 1800 करोड़ की कटौती की गई है और अगले साल यह रकम 3000 करोड़ होगी. ओल्ड पेंशन योजना लागू होने की वजह से भी एनपीएस कंट्रीब्यूशन के बदले मिलने वाला 2000 करोड़ लोन नहीं मिला है.
उधर, दिसंबर 2024 तक राज्य सरकार के पास 6200 करोड़ की लोन लिमिट थी. लेकिन इसमें 3900 करोड़ रुपये लिया जा चुका है. अब सिर्फ 2300 करोड़ लोन लिमिट बची है. अगस्त माह के लिए 1000 करोड़ लोन नोटिफाई किया था, लेकिन 500 करोड़ ही वित्त विभाग ने लिया था. अगले 4 महीने भी इसी तरह रहेंगे. ऐसे में अब सैलरी की तारीख आगे बढ़ सकती है.
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश को हर महीने सैलरी और पेंशन के लिए 2000 करोड़ चाहिए होते हैं. इसमें से 1200 करोड़ वेतन के तौर पर दिए जाते हैं. 800 करोड़ पेंशन रुपये के रूप में दिए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश की ट्रेजरी में हर माह 6 तारीख को 520 करोड़ रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट केंद्र से आती है. इसके अलावा, अपना टैक्स और नॉन टैक्स रिवेन्यू 10 तारीख के आसपास जमा होता है. इसके अलावा. राज्य सरकार के कोषागार की ओवरड्राफ्ट लिमिट भी 750 करोड़ के आसपास है. यानी 750 रुपये जीरो बैलेंस पर भी बैंक दे सकते हैं. लेकिन ओवरड्राफ्ट लिमिट से काम नहीं पाएगा. क्योंकि 2 हजार करोड़ रुपये की जरूर है.