18 लाख से ज्यादा दियो से सजी बाबा महांकाल की नगरी , गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

अवंतिका नगरी यानी उज्जैन का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। ‘शिव ज्योति अर्पणम्’ के तहत शनिवार शाम क्षिप्रा का तट 18 लाख 82 हजार दीयों से जगमग हो उठा, इसके साथ शहर का नाम गिनीज बुक में दर्ज हो गया। सबसे बड़ी बात ये है कि रिकॉर्ड बनने के बाद रात 10 बजे के बाद क्षिप्रा तट पर सफाई का काम भी शुरू हो गया।

18 लाख से ज्यादा दियो से सजी बाबा महांकाल की नगरी ,  गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

उज्जैन: महाशिवरात्रि पर अवंतिका नगरी यानी उज्जैन का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। ‘शिव ज्योति अर्पणम्’ के तहत शनिवार शाम क्षिप्रा का तट 18 लाख 82 हजार दीयों से जगमग हो उठा, इसके साथ शहर का नाम गिनीज बुक में दर्ज हो गया। सबसे बड़ी बात ये है कि रिकॉर्ड बनने के बाद रात 10 बजे के बाद क्षिप्रा तट पर सफाई का काम भी शुरू हो गया। रातभर में क्षिप्रा का किनारा पहले जैसा कर दिया गया। ताकि अमावस्या पर स्नान करने वाले लोगों को परेशानी ना हो। पूरा कार्यक्रम जीरो वेस्ट पर आयोजित किया गया था। इसके लिए 3R टेक्नीक अपनाई गई।

इससे पहले फरवरी 2022 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब 11 सड़कों का उद्घाटन करने उज्जैन आए थे, तब उन्होंने ऐलान किया कि इस बार उज्जैन 21 लाख दीये जलाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएगा। इसी के बाद इवेंट की तैयारी शुरू कर दी गई थी। मंत्रियों से लेकर अफसर तक इस काम को अंजाम देने में लग गए। समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग भी की गई। बाकायदा रिहर्सल भी हुई।

22 हजार वॉलंटियर्स ने 10 मिनट में इस कारनामे को कर दिखाया। पिछले साल अयोध्या में 15.76 लाख दीये जलाए गए थे। वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट मिलते ही आतिशबाजी की गई। इसकी तैयारी एक साल पहले शुरू की गई थी।

महापौर मुकेश टटवाल ने बताया कि पूरा कार्यक्रम डेढ़ महीने तैयारी के बाद किया गया था। तीन अलग-अलग शहरों से दीपक मंगवाए गए थे। दीप प्रज्जवलन के बाद 3R (रिड्यूज, रिसाइकिल, और रीयूज) टेक्नीक के माध्यम से इसका निपटारा किया जाएगा। रात 10 बजे के बाद घाटों पर सफाई का काम भी शुरू हो गया। महापौर ने बताया कि पूरा कार्यक्रम जीरो वेस्ट पर किया गया। दीप प्रज्जवलन के बाद बचे हुए तेल को गोशाला में उपयोग किया जाएगा। रुई को नगर निगम की कपड़ा बनाने वाली यूनिट में उपयोग में लाएंगे और दीपक से कलाकृति बनाई जाएगी। घाटों की सफाई करके वेस्ट का प्रबंधन कर दिया जाएगा।

स्मार्ट सिटी के सीईओ आशीष पाठक ने बताया कि दीये जलाने में तीन तरह के तेल (सरसों, सोयाबीन और कपास) के 52 हजार लीटर, 25 लाख रुई की बाती, 600 किलो कपूर और 4 हजार माचिस लगी। शुक्रवार को दिनभर नदी के सभी घाटों पर दीप सजाए गए। दूसरे दिन यानी शनिवार सुबह सभी दीपों में तेल और रुई की बाती डाली गई।

स्मार्ट सिटी सीईओ एवं नोडल अधिकारी आशीष पाठक ने बताया कि दीप प्रज्जवलन के लिए सभी घाटों पर 8,625 ब्लॉक बनाए। इन्हें ए, बी, सी, डी, ई और एफ छह ब्लॉक में बांटा गया। एक ब्लॉक में दो वॉलंटियर्स ने 225 दीये जलाए। इस तरह एक सब-सेक्टर में 40 से 50 ब्लॉक थे। हर ब्लॉक में 100 वॉलेंटियर्स थे। प्रति 100 वॉलेंटियर्स पर दो सुपरवाइजर लगाए गए। प्रति एक हजार वॉलेंटियर्स पर एक कंट्रोल ऑफिसर तैनात था। विभिन्न समाजों और संस्थाओं द्वारा वॉलंटियर्स की सूची दी गई। विभिन्न सेक्टर वाइज वॉलेंटियर्स के लिए प्रवेश-पत्र बनाए गए। कार्ड में होलोग्राम लगाए गए थे। वॉलेंटियर्स ने 10 मिनट में ही दीये जलाए। इसके बाद अगले पांच मिनट में ड्रोन से प्रज्ज्वलित दीयों की फोटोग्राफी की गई।