जंगलों के बीच बसा आदिवासी गांव हथखोए है। जहां सदियों से होलिका दहन नहीं करने की परंपरा आज भी चली आ रही है। इस गांव में होलिका दहन को लेकर न तो कोई उत्साह दिखता है और न ही किसी तरह की उमंग नजर आती है. होलिका दहन की रात्रि में यह चहल पहल नहीं होती बल्कि सन्नाटा पसरा रहता है। इस गांव में होली नहीं जलाने के पीछे एक किवदंती है, ग्रामीणों का कहना है कि दशकों पहले गांव में होलिका दहन के दौरान कई झोपड़ियों में आग लग गई थी। तब गांव के लोगों ने झारखंडन देवी की आराधना की और आग बुझ गई। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह आग झारखंडन देवी की कृपा से बुझी थी। लिहाजा तभी से हथखोए गांव में होलिका का दहन नहीं किया जाता। बुजुर्ग गोपाल आदिवासी 75 साल का कहना है कि उन्होंने गांव में कभी होलिका दहन होते नहीं देखा है। लोगों को इस बात का डर सताता है कि होली जलाने से झारखंडन देवी कहीं नाराज न हो जाएं। झारखंडन माता मंदिर के पुजारी छोटे भाई के अनुसार होलिका दहन से मां झारखंडन नाराज हो जाती हैं। इसलिए यहां कई सालों से होली का दहन की परंपरा बंद है। हथखोए गांव के लोग अपने बुजुर्गों के बताए संस्मरण सुनाते हुए कहते हैं कि एक बार झारखंडन देवी ने साक्षात दर्शन दिए थे और लोगों से होली न जलाने को कहा था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। नई पीढ़ी अब होली के नाम पर एक दूसरे को गुलाल लगा लेती है। जंगलों के बीच बसा आदिवासी गांव हथखोए है। जहां सदियों से होलिका दहन नहीं करने की परंपरा आज भी चली आ रही है। इस गांव में होलिका दहन को लेकर न तो कोई उत्साह दिखता है और न ही किसी तरह की उमंग नजर आती है. होलिका दहन की रात्रि में यह चहल पहल नहीं होती बल्कि सन्नाटा पसरा रहता है। इस गांव में होली नहीं जलाने के पीछे एक किवदंती है, ग्रामीणों का कहना है कि दशकों पहले गांव में होलिका दहन के दौरान कई झोपड़ियों में आग लग गई थी। तब गांव के लोगों ने झारखंडन देवी की आराधना की और आग बुझ गई। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह आग झारखंडन देवी की कृपा से बुझी थी। लिहाजा तभी से हथखोए गांव में होलिका का दहन नहीं किया जाता। बुजुर्ग गोपाल आदिवासी 75 साल का कहना है कि उन्होंने गांव में कभी होलिका दहन होते नहीं देखा है। लोगों को इस बात का डर सताता है कि होली जलाने से झारखंडन देवी कहीं नाराज न हो जाएं। झारखंडन माता मंदिर के पुजारी छोटे भाई के अनुसार होलिका दहन से मां झारखंडन नाराज हो जाती हैं।
MP के इस गांव में अनूठी परंपरा, कुलदेवी के नाराज होने के डर से नहीं जलाई जाती यहां होली
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