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31 साल बाद कांग्रेस का सूखा खत्म, BJP के हाथ से फिसली रैगांव सीट; शिवराज-वीडी शर्मा नहीं बचा पाए गढ़

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By Shivansh Shukla
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31 साल बाद कांग्रेस का सूखा खत्म, BJP के हाथ से फिसली रैगांव सीट; शिवराज-वीडी शर्मा नहीं बचा पाए गढ़

आर्य समय संवाददाता, सतना। रैगांव में कांग्रेस का 31 साल का इंतजार आखिरकार कल्पना ने खत्म कर दिया।12245 मतों से कांग्रेस की कल्पना वर्मा ने बीजेपी प्रत्याशी प्रतिमा बागरी को हराया। भाजपा के गढ़ में प्रतिमा के हाथों आया कमल मुरझा गया है। भाजपा को बागरी परिवार की अनदेखी यहां भारी पड़ गई है। कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा ने इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर हुए कड़े चुनावी मुकाबले में निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा की प्रतिमा बागरी को हरा कर रैगांव में जीत का कांग्रेस का सपना साकार कर दिया। कल्पना वर्मा के बाबा ससुर बाला प्रसाद वर्मा भी नागौद से विधायक रहे हैं। अब उनकी बहू रैगांव से विधायक चुनी गई हैं।

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publive-image मतगणना स्थल से बाहर जाती भाजपा प्रत्याशी

कांग्रेसी दिग्गजों को पीछे कर इसलिए पाया टिकट

पूर्व जिला पंचायत सदस्य कल्पना वर्मा ने 2018 में भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन तब वो जुगुल किशोर बागरी से हार गई थीं। उस चुनाव में उन्होंने रैगांव क्षेत्र में वर्षों से तीसरे नंबर पड़ी रही कांग्रेस को दूसरे स्थान तक पहुंचाया था। यही कारण था कि रैगांव में उपचुनाव के ऐलान के बाद से ही कल्पना को कांग्रेस की टिकट का बड़ा दावेदार माना जा रहा था। कांग्रेस ने उनके नाम पर मुहर लगाई तो कल्पना ने जनता और पार्टी दोनों के विश्वास को जीत कर रैगांव सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी। एमएससी पास कल्पना के पति का ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय है।

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बसपा के मैदान में नहीं होने का मिला फायदा

चौधरी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली कल्पना को अपने समाज का तो समर्थन खुलकर मिला ही, बसपा की चुनावी मैदान में गैर मौजूदगी का फायदा भी मिला। जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद से लगातार क्षेत्र और जनता के संपर्क में रहीं 32 साल की कल्पना का नाम रैगांव के मतदाताओं के लिए कोई अपरिचित नहीं था। पूर्व विधायक रामाश्रय प्रसाद की पौत्र वधु कल्पना की इस बड़ी विशेषता ने भी उन्हें खासी मजबूती दी। हालांकि रोड़े उनकी जीत की राह में भी कम नहीं थे, लेकिन इस बार का कांग्रेसी चुनाव मैनेजमेंट पिछली पराजयों के कारणों की पुनरावृत्ति से किनारा किए रहा।

 

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