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लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति ने घर जाकर किया 'भारत रत्न' से सम्मानित; प्रधानमंत्री मोदी भी रहे मौजूद

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में आडवाणी के आवास पर उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी मौजूद थे।

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By aryasamay
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LK Advani

दिल्ली । राष्ट्रपति मुर्मू ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव व चौधरी चरण सिंह, कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन और दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' मरणोपरांत प्रदान किया।

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पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के लिए सम्मान उनके बेटे पीवी प्रभाकर राव ने स्वीकार किया। चौधरी चरण सिंह के लिए उनके पोते और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने राष्ट्रपति से यह सम्मान स्वीकार किया। वहीं, स्वामीनाथन की ओर से उनकी बेटी नित्या राव और कर्पूरी ठाकुर की ओर से उनके बेटे रामनाथ ठाकुर ने राष्ट्रपति मुर्मू से यह पुरस्कार लिया।

आडवाणी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। कई वर्षों तक आडवाणी राजस्थान में आरएसएस प्रचारक के काम में लगे रहे। वह उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी।

1980 से 1990 के बीच आडवाणी ने भाजपा को एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने के लिए काम किया। लालकृष्ण आडवाणी तीन बार (1986 से 1990, 1993 से 1998 और 2004 से 2005) भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। 1984 में महज दो सीटें हासिल करने वाली पार्टी को अगले लोकसभा चुनावों में 86 सीटें मिलीं। पार्टी की स्थिति 1992 में 121 सीटों और 1996 में 161 पर पहुंच गई।

आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और भाजपा सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी थी। 1980 की शुरुआत में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन की शुरुआत करने लगी। उधर आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा राम मंदिर आंदोलन का चेहरा बन गई। आडवाणी ने 25 सितंबर, 1990 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर सोमनाथ से राम रथ यात्रा शुरू की थी। 

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